Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास )

Tipu Sultan - ( tipu sultan history । टीपू सुल्तान इतिहास ) hindi -


Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास )
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 


Tipu Sultan 



दोस्तों आज हम आपके साथ शेयर कर रहे है  - Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 

टीपू सुल्तान ( Tipu Sultan ) के बहादुरी के किस्से कौन नहीं जानता। इतिहास के पन्नों में टीपू सुल्तान को “मैसूर का शेर” ( Tiger of Mysore ) बताया गया है। उनमे वीरता और साहस कूट-कूट कर भरा था। उनकी वीरता के आगे अंग्रेजों को भी घुटने टेकने पडे थे। तो आइए जानते हैं इतिहास के इस महान योद्धा के जीवन के बारे में – Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास )


जानकारी -


जन्म                : 20 नवंबर 1750, देवनहल्ली
पूरा नाम           : फतेह अली साहब टीपू
उपनाम            : मैसूर का टाइगर, टीपू साहिब
माता-पिता       : हैदर अली, फातिमा फख्र-उन-निसा
निधन              : 4 मई 1799, श्रीरंगपटना
दफन               : 5 मई 1799, टीपू सुल्तान का मकबरा, श्रीरंगपटना

Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 



Tipu Sultan - जन्म और परिवार  


टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवम्बर 1750 में बेंगलुरु के देवानाहली स्थान पर हुआ। उनका नाम टीपू सुल्तान आरकोट के औलिया टीपू मस्तान के नाम पर रखा गया। टीपू सुल्तान को उनके दादाजी फ़तेह मुहह्म्म्द के नाम पर फ़तेह अली भी कहते थे। टीपू सुल्तान का पूरा नाम सुल्तान सईद वाल्शारीफ फतह अली खान बहादुर शाह टीपू था।

उनके पिता का नाम हैदर अली था, वे पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन उन्होंने अपने पुत्र को पढाया। वे दक्षिण भारत में मैसूर के साम्राज्य के एक काबिल और सैन्य अधिकारी थे। इनकी माता का नाम फातिमा फख- उन निसा था और टीपू सुल्तान इनके बड़े पुत्र थे।
हैदर अली
हैदर अली

उनके पिता हैदर अली साल 1761 में अपनी बुद्धिमत्ता और कुशलता के बल पर मैसूर सम्राज्य के वास्तविक शासक के रूप में सत्ता में काबिज हुए और उन्होनें अपने कौशल और योग्यता के बल पर अपने रूतबे से मैसूर राज्य में सालों तक शासन किया।
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 



Tipu Sultan - शिक्षा


हैदर अली ने टीपू सुल्तान को वीर और कुशल योद्धा बनाने पर खास ध्यान दिया। उन्होंने टीपू की शिक्षा के लिए योग्य शिक्षकों की नियुक्ति भी की थी।

Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास )
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 

टीपू सुल्तान  ने बचपन में पढाई के साथ साथ सैन्य शिक्षा  और राजनीतिक शिक्षा भी ली। हैदर अली के फ्रांसिसी अधिकारियों के साथ राजनीतिक संबंध थे इसलिए उन्होनें अपने बेटे को सेना में कुशल फ्रांसिसी अधिकारियों द्धारा राजनीतिक मामलों में प्रशिक्षित किया गया था।

टीपू सुल्तान को हिंदी, उर्दू, पारसी,अरबी,कन्नड़ भाषाओं के साथ-साथ कुरान, इस्लामी न्यायशास्त्र, घुड़सवारी, निशानेबाजी और तलवारबाजी की भी शिक्षा दी गई थी।
17 वर्ष की उम्र में उनको महत्वपूर्ण राजनयिक और सैन्य मिशन में स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया। वो युद्ध में अपने पिता का दाया हाथ था, जिससे हैदर दक्षिणी भारत का एक शक्तिशाली शाषक बना था।
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 


Tipu Sultan - प्रारम्भिक जीवन


टीपू सुल्तान 15 साल की उम्र में ही युद्ध कला में निपुण हो गए  थे। 1766 में अंग्रेज़ों के विरुद्ध पहला युद्ध जीता था, उन्होनें ब्रिटिश के खिलाफ हुई मैसूर की पहली लड़ाई में अपने पिता के साथ संघर्ष किया था और अपनी कौशल क्षमता और बहादुरी से अंग्रेजों को खदेड़ने में भी कामयाब हुए।

वहीं इस दौरान उनके पिता हैदर अली, पूरे भारत में सबसे शक्तिशाली शासक बनने के लिए मशहूर हो गए थे।टीपू सुल्तान ने अपने पिता के मैसूर सम्राज्य को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में पड़ने से बचाने के लिए वीरता के साथ प्रदर्शन किया और सूझबूझ से रणनीति बनाई। वे हमेशा अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहते थे। इसके साथ ही वे अपने अभिमानी और आक्रामक स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे।
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 


Tipu Sultan - शासनकाल


Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास )
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 

टीपू सुल्तान अपने शासनकाल में सम्मानित व्यक्तित्व वाले एक साधारण नेता के रूप में जाने जाते थे। वहीं टीपू को अपनी प्रजा से बहुत ज्यादा सम्मान मिला। टीपू सुल्तान ‘जेकबिन क्लब’ के संस्थापक सदस्य थे, जिन्होंने फ्रांसीसी के प्रति अपनी निष्ठा कायम ऱखी। वह अपने पिता की तरह एक सच्चे देशभक्त थे।

टीपू सुल्तान ने अपने शासनकाल में अंग्रेजों के खिलाफ फ्रांसीसी, अफगानिस्तान के अमीर और तुर्की के सुल्तान जैसे कई अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों की सहायता कर उनका भरोसा जीता।
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 

टीपू सुल्तान बहादुर होने के साथ-साथ दिमागी सूझबूझ से रणनीति बनाने में भी बेहद माहिर था। उसने अपने शासनकाल में कभी हार नहीं मानी और अंग्रेजों को हारने के लिए मजबूर कर दिया। टीपू ने ब्रिटिश की ईस्ट इंडिया कंपनी के विस्तार से होने वाले खतरे का अनुमान पहले ही व्यक्त किया था। टीपू और उनके पिता हैदर अली ने साल 1766 में हुए पहले मैसूर युद्ध में अंग्रेजों को हरा दिया था।

साल 1779 में अंग्रेजों ने फ्रांसिसी बंदरगाह पर कब्जा कर लिया जो कि टीपू संरक्षण के तहत था। हैदर अली ने बदला लेने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ अपने बेटे टीपू सुल्तान के साथ 1782 में द्वितीय मैसूर युद्ध लड़ा और अंग्रेजों को जोरदार पटखनी दी।

Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास )
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 
इस दौरान हैदर अली कैंसर जैसी घातक बीमारी से पीड़ित हो गए थे और साल 1782 में उन्होनें अपनी आखिरी सांस ली। टीपू सुल्तान ने 1782 में अपने पिता के निधन के बाद मैसूर की कमान संभाली थी और अपने अल्प समय के शासनकाल में ही विकास कार्यों की झड़ी लगा दी थी। उसने जल भंडारण के लिए कावेरी नदी के उस स्थान पर एक बाँध की नींव रखी, जहाँ आज 'कृष्णराज सागर बाँध' मौजूद है। 
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 

टीपू ने अपने पिता द्वारा शुरू की गई 'लाल बाग़ परियोजना' को सफलतापूर्वक पूरा किया। टीपू निःसन्देह एक कुशल प्रशासक एवं योग्य सेनापति था। उसने 'आधुनिक कैलेण्डर' की शुरुआत की और सिक्का ढुलाई तथा नाप-तोप की नई प्रणाली का प्रयोग किया। उसने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम में 'स्वतन्त्रता का वृक्ष' लगवाया।

टीपू सुल्तान मैसूर सम्राज्य को संभाल रहे थे तो उन्होंने अपनी हर एक जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभाया। उन्होंने अपने पिता की अधूरी पड़ी हुई परियोजनाएं जैसे सड़कें, पुल, प्रजा के लिए मकान और बंदरगाह बनवाना जैसे कामों को पूरा किया। इसके अलावा रॉकेट टैक्नोलॉजी से उन्होंने न सिर्फ कई सैन्य परिवर्तन किए बल्कि खुद का दूरदर्शी होने का प्रमाण भी दिया। युद्ध में सबसे पहले टाइगर टीपू सुल्तान ने रॉकेट का इस्तेमाल किया ताकि इस प्रभावशाली हथियार से शत्रुओं को पराजित किया जा सके।

साल 1790 में इस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने टीपू सुल्तान पर हमला किया और कोयंबटूर पर ज्यादा से ज्यादा नित्रंयण स्थापित कर लिया। जिसके बाद टीपू ने भी कार्नवालिस पर हमला किया लेकिन इस अभियान में सफल नहीं हो पाए।
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 

यह लड़ाई तकरीबन 2 साल तक चली। इस लड़ाई को खत्म करने के लिए टीपू सुल्तान ने 1792 में श्रीरंगपट्नम की संधि पर साइन किया। जिससे उन्हें मालाबार और मंगलौर को मिलाकर अपने प्रदेशों को खोना पड़ा था।

Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास )
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 

ईस्ट इंडिया कंपनी ने साल 1799 मराठों और निजामों के साथ गठबंधन कर टीपू सुल्तान के मैसूर राज्य पर हमला किया। यह चौथा एंग्लो-मैसूर युद्ध था। जिसमें ब्रिटिश लोगों ने मैसूर की राजधानी श्रीरंगपट्टनम पर अपना कब्जा जमा लिया था।
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 

Tipu Sultan - हिंदू संस्थाओं के लिए उपहार 

Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास )
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 

1791 में रघुनाथ राव पटवर्धन के कुछ मराठा सवारों ने श्रृंगेरी शंकराचार्य के मंदिर और मठ पर छापा मारा। उन्होंने मठ की सभी मूल्यवान संपत्ति लूट ली। इस हमले में कई लोग मारे गए और कई घायल हो गए। शंकराचार्य ने मदद के लिए टीपू सुल्तान को अर्जी दी। शंकराचार्य को लिखी एक चिट्ठी में टीपू सुल्तान ने आक्रोश और दु:ख व्यक्त किया। इसके बाद टीपू ने बेदनुर के आसफ़ को आदेश दिया कि शंकराचार्य को 200 राहत (फ़नम) नक़द धन और अन्य उपहार दिये जायें।

        श्रृंगेरी मंदिर में टीपू सुल्तान की दिलचस्पी काफ़ी सालों तक जारी रही, और 1790 के दशक में भी वे शंकराचार्य को खत लिखते रहे। टीपू के यह पत्र तीसरे मैसूर युद्ध के बाद लिखे गए थे, जब टीपू को बंधकों के रूप में अपने दो बेटों देने सहित कई झटकों का सामना करना पड़ा था। यह सम्भव है कि टीपू ने ये खत अपनी हिन्दू प्रजा का समर्थन हासिल करने के लिए लिखे थे।
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 

        टीपू सुल्तान ने अन्य हिंदू मन्दिरों को भी तोहफ़े पेश किए। मेलकोट के मन्दिर में सोने और चांदी के बर्तन है, जिनके शिलालेख बताते हैं कि ये टीपू ने भेंट किए थे। ने कलाले के लक्ष्मीकान्त मन्दिर को चार रजत कप भेंटस्वरूप दिए थे। 1782 और 1799 के बीच, टीपू सुल्तान ने अपनी जागीर के मन्दिरों को 34 दान के सनद जारी किए। इनमें से कई को चांदी और सोने की थाली के तोहफे पेश किए।

Tipu Sultan - मृत्यु 


संधि करने के बाद भी अंग्रेज़ों ने टीपू सुल्तान के साथ गद्दारी की। ईस्ट इंडिया कंपनी ने हैदराबाद के निजामों के साथ मिलकर टीपू पर ज़बरदस्त हमला किया और इस लड़ाई में महान योद्धा टीपू सुल्तान की हत्या कर दी।
4 मई साल 1799 में मैसूर का शेर श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। इसके बाद इनके शव को मैसूर के श्रीरंगपट्टनम में दफन किया गया।
Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास ) 


Tomb of Tipu Sultan
Tomb of Tipu Sultan

टीपू सुल्तान की मौत के बाद 1799 ई. में अंग्रेज़ों ने मैसूर राज्य के एक हिस्से में उसके पुराने हिन्दू राजा के जिस नाबालिग पौत्र को गद्दी पर बैठाया, उसका दीवान पुरनिया को नियुक्त कर दिया गया था।
इस तरह वीरयोद्धा टीपू सुल्तान हमेशा के लिए वीरगति को प्राप्त हो गए और इसके बाद इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए उनकी वीरगाथा के किस्से छप गए।


हम उम्मीद करते है की आपको  (Tipu Sultan - ( tipu sultan history in hindi । टीपू सुल्तान का इतिहास )) पसंद आया होगा 



Comments

  1. Best article of Tipu
    700 Brahmin killed by Tipu sultan
    https://www.azaadtimes18.com/2020/05/700.html?m=1

    ReplyDelete

Post a Comment