Sikandar - ( सिकंदर का इतिहास | Sikandar / Alexander history )

Sikandar - ( सिकंदर का इतिहास | Sikandar / Alexander history ) -



Sikandar - ( सिकंदर का इतिहास | Sikandar / Alexander history )
Sikandar - ( सिकंदर का इतिहास | Sikandar / Alexander history )

Sikandar

Sikandar - ( सिकंदर का इतिहास | Sikandar / Alexander history )

    दोस्तों आज हम आपके साथ शेयर कर रहे है - Sikandar - ( सिकंदर का इतिहास | Sikandar / Alexander history ) -

   इतिहास में बहुत सारे राजा हुए लेकिन एक ही ऐसा राजा है जिसके नाम के आगे दुनिया महान लगाती है। वो है अलेक्जेंडर (Alexander the Great) जिन्हें पूरी दुनिया सिकंदर (Sikandar) के नाम से जानती हैं। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है।
     अपनी मृत्यु तक वह उस तमाम भूमि को जीत चुका था जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी। इसीलिए उसे विश्वविजेता भी कहा जाता है और उसके नाम के साथ महान या दी ग्रेट भी लगाया जाता हैं।  इतिहास में वह सबसे कुशल और यशस्वी सेनापति माना गया है।
Sikandar - ( सिकंदर का इतिहास | Sikandar / Alexander history )

कौन थे सिकन्दर – Who is Sikandar -


सिकंदर का जन्म 20 जुलाई, 356 ईसा पूर्व में प्राचीन नेपोलियन की राजधानी पेला में हुआ था। सिकंदर, के पिता का नाम फिलीप द्धितीय था जो कि मेक्डोनिया और ओलम्पिया के राजा थे और उनकी माता का नाम ओलिम्पिया था। ऐसा कहा जाता है कि वे एक जादूगरनी थी जिन्हें सांपो के बीच रहने का शौक था।

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सिकंदर की एक बहन भी थी,  जिसका नाम क्लियोपैट्रा था। इन दोनों की परवरिश पेला के शाही दरबार में हुईं थी। उसे ( Cleopatra of Macedon ) भी कहा जाता है। वह सिकंदर महान की एकमात्र सहोदर (Siblings ) थी।

Sikandar's Early life ( प्रारंभिक जीवन ) -


सिकंदर, बचपन से भी बेहद बुद्धिमान था। 12 वर्ष की उम्र में सिकन्दर ने घुड़सवारी बहुत अच्छे से सीख ली थी। 
शुरुआती शिक्षा सिकंदर ने अपने रिश्तेदार दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ एपिरुस से ली थी। सिकंदर के पिता फिलीप चाहते थे कि सिकंदर को पढ़ाई के साथ-साथ युद्ध विद्या का भी पूरा ज्ञान हो। इसलिए उन्होनें अपने एक अनुभवी और कुशल रिश्तेदार को सिकंदर के लिए नियुक्त किया था, जिससे सिकंदर ने गणित, घुड़सवारी, धनुर्विध्या ली थी। इसके बाद लाइमेक्स ने सिकंदर को युद्ध की शिक्षा दी।
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     जब सिकंदर 13 साल के हुए तो उनके पिता ने उनके लिए एक निजी शिक्षक एरिसटोटल की नियुक्ति की थी, जिनका नाम एरिस्टोटल था,  जिन्हें भारत का अरस्तु भी कहा जाता है।  वे एक प्रसिद्ध और महान दार्शनिक ( philosopher ) थे। अरस्तू ने सिकंदर को करीब 3 सालों तक साहित्य की शिक्षा दी इसके साथ ही वाक्पटुता भी सिखाई। वहीं सिकंदर जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति को निखारने का काम भी अरस्तू ने ही किया।
   अरस्तू के मार्गदर्शन से सिकंदर योग्य होता चला गया और उसमें दुनिया को जीतने का आत्म विश्वास भी बढ़ गया।

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  सिकंदर ने अपने पिता द्वारा मेक्डोनिया को एक सामान्य राज्य से महान सैन्य शक्ति में बदलते देखा था। अपने पिता की बालकन्स में जीत पर जीत दर्ज करते हुए देखते हुए सिकन्दर बड़ा हुआ था।
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329 ई. पू. में अपनी पिता की मृत्यु के उपरान्त वह सम्राट बना। उस समय उसकी आयु बीस वर्ष थी। लेकिन अपने पिता की मौत के बाद सिकंदर ने राजगद्दी पाने के लिए सेना को इकट्ठा कर अपने सौतेले और चचेरे भाइयों की हत्या कर दी। और फिर वह मकदूनिया के राजसिंहासन पर काबिज हो गया था।

वहीं सिकंदर की मां, ओलम्पिया ने सिकंदर के साथ जीत की रणनीति बनवाने में भी काफी मद्द की थी।अपने बेटे को सत्ता के सिंहासन पर बिठाने के लिए ओल्म्पिया ने अपने सौतेले बेटों को मारने में मद्द की थी। इसके साथ ही उसने अपनी सौतेली बेटी को मार दिया था और अपनी सौतन क्लेओपटेरा को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया था।
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Sikandar Mahan (Alexander the Great) -


जब सिकंदर सम्राट बना तो उसने  मकदूनिया के आस-पास के राज्यों को जीतना शुरु कर दिया था। उसने सबसे पहले यूनान के रास्ते में अपनी जीत दर्ज करवाई। और फिर वह एशिया माइनर की तरफ बढ़ा। अनेक शानदार युद्ध अभियानों के बीच उसमे एशिया माइनर को जीतकर सीरिया को पराजित किया और फिर इरान, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, और बॅक्ट्रिया प्रदेश पर विजय हासिल की थी।
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यह सभी क्षेत्र उस समय विशाल फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे, जो कि मिस्त्र, इरान से लेकर पश्चिमोत्तर भारत तक फैला था। अगर सिकंदर के साम्राज्य की तुलना फारसी साम्राज्य से की जाए तो फारसी साम्राज्य, सिकंदर के साम्राज्य से करीब 40 गुना ज्यादा बड़ा था, जिसका शासक डेरियस तृतीय था।

    लेकिन सिकंदर ने उसे भी अरबेला के युद्ध अपनी सैन्य शक्ति से  हराकर उसका साम्राज्य हासिल कर लिया था। और स्वयं वहां का राजा बन गया। जनता का ह्रदय जीतने के लिए उसने फारसी राजकुमारी रुखसाना से विवाह कर लिया था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर) औऱ हिंदी में सिकंदर महान कहा जाता है। 
Sikandar - सिकंदर महान का इतिहास | Alexander Sikandar History in Hindi


सिकन्दर और भारत (Sikandar and India) -


326 ईसा पूर्व में यूनानी शासक सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था। पंजाब में सिंधु नदी को पार करते हुए सिकंदर तक्षशिला पहुंचा, उस समय चाणक्या तक्षशिला मे अध्यापक थे। वहां के राजा आम्भी ने सिकंदर की अधीनता स्वीकार कर ली। चाणक्या ने भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए सभी राजाओ से आग्रह किया किंतु सिकंदर से लड़ने कोई नही आया। और पश्चिमोत्तर प्रदेश के अनेक राजाओं ने तक्षशिला की देखा देखी सिकंदर के सामने आत्म समर्पण कर दिया।
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इसके बाद पूरी दुनिया को जीतना का सपने देखने वाला सम्राट फौरन तक्षशिला से होते हुए राजा पोरस के सम्राज्य  की और बढ़ने लगा जो झेलम और चेनाब नदी के बीच बसा हुआ था। राजा पोरस के राज्य पर हक जमाने के मकसद से सिकंदर और राजा पोरस के बीच युद्ध हुआ तो राजा पोरस ने बहादुरी के साथ सिकंदर के साथ लड़ाई की लेकिन काफी संघर्ष और कोशिशों के बाबजूद भी उसे हार का सामना करना पड़ा। वहीं इस युद्धा में सिकंदर की सेना को भी भारी नुकसान पहुंचा था।



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आपको बता दें कि राजा पोरस को काफी शक्तिशाली शासक माना जाता था। वहीं पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक राजा पोरस  का राज्य था। 
    युद्ध में पोरस पराजित हुआ परन्तु सिकंदर को पोरस की बहादुरी ने काफी प्रभावित किया था, क्योंकि जिस तरह राजा पोरस ने लड़ाई लड़ी थी उसे देख सिकंदर दंग थे। और इसके बाद सिकंदर ने राजा पोरस से दोस्ती कर ली और उसे उसका राज्य और कुछ नए इलाके भी दिए। दरअसल सिकंदर को कूटनीतिज्ञ समझ थी इसलिए आगे किसी तरह की मदद के लिए उसने पोरस से व्यवहारिक तौर पर दोस्ताना संबंध जारी रखे थे।
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उसके बाद सिकंदर की सेना ने छोटे हिंदू गणराज्यों के साथ लड़ाई की। इसमें कठ गणराज्य के साथ हुई लड़ाई काफी बड़ी थी। आपको बता दें कि कठ जाति के लोग अपने साहस के लिए जानी जाती थी।

यह भी माना जाता है कि इन सभी गणराज्यों को एक साथ लाने में आचार्य चाणक्य का भी बहुत बड़ा योगदान था। इस सभी गणराज्यों ने सिकंदर को काफी नुकसान भी पहुंचाया था जिससे सिकंदर की सेना बेहद डर गई थी।

सिकंदर व्यास नदी तक पहुँचा, परन्तु वहाँ से उसे वापस लौटना पड़ा। क्यूंकि कठों से युद्ध लड़ने के बाद उसकी सेना ने आगे बढ़ने से मना कर दिया था। दरअसल व्यास नदी के पार नंदवंशी के राजा के पास 20 हजार घुड़सवार सैनिक, 2 लाख पैदल सैनिक, 2 हजार 4 घोड़े वाले रथ और करीब 6 हजार हाथी थे।

सिकंदर पूरे भारत पर ही विजय पाना चाहता था लेकिन उसे अपनी सैनिकों की मर्जी की वजह से व्यास नदी से ही वापस लौटना पड़ा था।
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Sikandar's Death - सिकंदर की मृत्यु -



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पूरी दुनिया पर शासन करने का सपना संजोने वाले सम्राट सिकंदर जब 323 ईसा पूर्व में बेबीलोन (Babylon) पहुंचे तो वहां पर उसे भीषण बुखार (Typhoid) ने जकड़ लिया। अत: 33 वर्ष की उम्र में 10 जून 323 ईसा पूर्व में सिकन्दर की मृत्यु हो गई।
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 केवल 10 वर्ष की अवधि में इस अपूर्व योद्धा ने अपने छोटे से राज्य का विस्तार कर एक विशाल साम्राज्य स्थापित कर लिया था। हालाँकि उसकी मृत्यु के बाद उसका साम्राज्य बिखर गया, और इसमें शामिल देश आपस में शक्ति के लिए लड़ने लगे। ग्रीक और पूर्व के मध्य हुए सांस्कृतिक समन्वय का एलेक्जेंडर के साम्राज्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा।


तथ्य ( Sikandar ) -


सिकंदर के मृत्यु के बाद जब उसकी अरथी को ले जाया जा रहा था, तब अरथी के बाहर सिकंदर के दोनों हाथ बाहर लटके हुए थे। क्यूंकी उसने मृत्यु से पहले कहा था की जब मेरी मृत्यु हो जाए तो मेरे हाथ अरथी के अंदर मत रखना, सिकंदर चाहता था उसके हाथ अरथी के बाहर रहें।
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वह पूरी दुनिया को यह दिखाना चाहता था की जिसने दुनिया को जिता, जिसने अपने हाथ में सब कुछ भर लिया, मरने के बाद वह हाथ भी खाली हैं। जैसे इंसान खाली हाथ दुनिया मे आता हैं वैसे ही खाली हाथ उसे जाना पड़ता है, चाहे वह कितना भी महान क्यों न बन जाये।


          हम उम्मीद करते है की आपको  Sikandar - ( सिकंदर का इतिहास | Sikandar / Alexander history ) ) पसंद आई होगी 















Comments

  1. Sikndar poras se yuddh me haar gya thaa

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    1. Sikandar ke wapis jaane ka reason uska health khrab hona h

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    2. yes haar gya tha ..par mugal ittihaskaro ne poras ki haar ka jikar kr diya

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  2. Galat alexgendar (sikandar) Jeet gaya that poras mahan yudh ladne ke bad har mili this


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  3. Good knowledge provided in brief..

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  4. Bhosdi ke kya history malu hai madarchod 356 me paida hua 323 me mar gaya laude saale

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    1. सबसे पहले तुम्हे शुरआत का इतिहास पढ़ लेना चाहिए, ईसा पूर्व क्या है और ईसा क्या है यह मालूम होना चाहिए।
      लगता है तुम बुरी संगत में हो, सदा बुराई में रहोगे तो तुम्हे बुराई में बुराई नज़र नहीं आएगी। तुम्हे इससे बाहर निकलना होगा।

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    2. Wo isa purv(bc) hai bhai wo ulta chalega aur isvi(ad/ce) sidha chlta hai.

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  5. Good article...
    Provided information help me understand of sikandar Great
    Thanks

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