Akbar history in hindi । अकबर का इतिहास

Akbar history in hindi । अकबर का इतिहास  -



Akbar history in hindi । अकबर का इतिहास
Akbar history in hindi । अकबर का इतिहास 

Akbar


दोस्तों आज हम आपके साथ शेयर कर रहे है - ( akbar history in hindi । अकबर का इतिहास )

अकबर के बारे में कौन नहीं जानता, आपने कई किताबों, किस्से कहानियों में अकबर के बारे में पड़ा और सुना होगा , उन के ऊपर फिल्म भी बनी है।
मुग़ल शासनकाल में जितने भी राजा महाराजा हुए उन सबमे अकबर सबसे अलग राजा था। अकबर एक बहुत ही बहादुर और शांतिप्रिय राजा था। उसकी सबसे खास बात यह है की उसने बचपन से राज्य चलाने का काम किया था।
Akbar history in hindi । अकबर का इतिहास 

अकबर को महान सम्राट कहा जाता है, उन्हें महान सम्राट कहना केवल अकबर का विजयी होना ही इसका एक कारण नहीं है, उनकी धार्मिक सहिष्णुता उनकी असली पहचान है। अकबर के समय तक या अकबर के बाद जितने भी सम्राट हुई वो सभी अपने धर्म को लेकार काफी कट्टर थे लेकीन अकबर ऐसे नहीं थे।

 उन्होंने बेहद कुशलता के साथ अपने सैन्य ताकत को बढाते हुए अपने राज्य का विस्तार किया और लोगो का परिचय मुस्लिम धर्म से करवाया। उनकी विचार धारा सबके लिए समान थी। अकबर की नीतियां धर्म के प्रति कट्टर नहीं थी और लोगो को धार्मिक आजादी थी। तो आइए जानते हैं इतिहास के इस महान योद्धा के जीवन के बारे में - Akbar history in hindi । अकबर का इतिहास।


अकबर का जन्म -


Akbar history in hindi । अकबर का इतिहास
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अकबर हुमायु के बेटे थे, जिन्होंने पहले से ही मुघल साम्राज्य का भारत में विस्तार कर रखा था। चौसा और कन्नौज में सन 1539-40 होने वाले शेर शाह सूरी से युद्ध में पराजित होने के बाद हुमायु पश्चिम में सिंध की ओर गए, जहा उनकी मुलाकात हमीदा बानू बेगम से हुई जो शैख़ अली अकबर की बेटी थी, उन्होंने उनसे शादी कर ली। और अगले साल ही 15 अक्टूबर 1542  को सिंध के उमरकोट जो अभी पाकिस्तान में है वहा पर अकबर का जन्म हुआ। अकबर पूरा नाम जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर था।
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प्रारम्भिक जीवन -


लम्बे समय के बाद, अकबर अपने पुरे परिवार के साथ काबुल स्थापित हुए। जहा उनके चाचा कामरान मिर्ज़ा और अस्करी मिर्ज़ा रहते थे। उन्होंने अपना बचपन युद्ध कला सिखने में, शिकार करने में, लड़ने में व्यतीत किया जिसने उसे एक शक्तिशाली, निडर और बहादुर योद्धा बनाया। उन्होंने सब कुछ सिखा था लेकिन कभी पढ़ना या लिखना नहीं सिखा, उन्हें जब भी जरूरत होती तो वे अपने साथ किसी को रखते थे जिसे पढना लिखना आता हो।

1551 के नवम्बर में अकबर ने काबुल की रुकैया से शादी कर ली। महारानी रुकैया उनके ही चाचा हिंदल मिर्ज़ा की बेटी थी। जो उनकी पहली और मुख्य पत्नी थी।
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अकबर के पिता हुमायूं को चूँकि शेर शाह सूरी ने युद्ध में हरा दिया था इसलिए उनसे राजगद्दी छीन गयी, लेकिन हिंदल मिर्ज़ा की मृत्यु के बाद हुमायु ने उनकी जगह ले ली और हुमायु ने दिल्ली को 1555 में पुनर्स्थापित किया और वहा उन्होंने एक विशाल सेना का निर्माण किया। इसके कुछ ही महीनो बाद हुमायु की मृत्यु हो गयी।


Akbar history in hindi । अकबर का इतिहास
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हुमायु की मौत के बाद अकबर अच्छा शासन नहीं कर पाए क्यों की उस वक्त अकबर काफी छोटे थे। लेकीन बैरम खान के साथ होने की वजह से अकबर ने अपने राज्य को अच्छे से स्थापित कर लिया। उन्होंने बैरम खान की सहायता से पुरे भारत में हुकूमत की। एक बहुत सक्षम और बहादुर बादशाह होने के नाते उन्होंने पुरे भारत में और करीब गोदावरी नदी के उत्तरी दिशा तक कब्ज़ा कर लिया था। और साथ ही बैरम खान ने पानीपत की दूसरी लड़ाई में हिंदू राजा हेमू के खिलाफ सेना का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।
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अकबर का शासनकाल -


भारत के इतिहास में अकबर के शासनकाल को काफी महत्व दिया गया है। अकबर शासनकाल के दौरान मुग़ल साम्राज्य तीन गुना बढ़ चूका था। उसने बहुत ही प्रभावी सेना का निर्माण किया था और कई सारी राजनयिक और सामाजिक सुधारना भी लायी थी।

अकबर को भारत के उदार शासकों में गिना जाता है। संपूर्ण मध्यकालीन इतिहास में वो एक मात्र ऐसे मुस्लीम शासक हुए है जिन्होंने हिन्दू मुस्लीम एकता के महत्त्व को समझकर एक अखण्ड भारत निर्माण करने का प्रयास कीया।
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मुगलों की ताकतवर फ़ौज, राजनयिक, सांस्कृतिक आर्थिक वर्चस्व के कारण ही अकबर ने पुरे देश में कब्ज़ा कर लिया था। अकबर से युद्द में हारे हुए राजाओं से भी अकबर ने अच्छा सम्बन्ध स्थापित किया, अपने मुग़ल साम्राज्य को एक रूप बनाने के लिए अकबर ने जो भी प्रान्त जीते थे उनके साथ में संधि की या फिर शादी करके उनसे रिश्तेदारी की।
अकबर ने हिंदु राजपूत राजकुमारी से विवाह भी किया। उनकी एक राणी जोधाबाई राजपूत थी। इतिहास में झाककर देखा जाए तो हमें जोधा-अकबर की प्रेम कहानी विश्व प्रसिद्द दिखाई देती है।

Akbar history in hindi । अकबर का इतिहास
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अकबर ने जिस भी प्रान्त को जीता उन पर हुकूमत चलाने की बजाय उन्हें अपने साथ उनके पदों के साथ शामिल किया और अपने साम्राज्य का एक भाग बनाया। जिससे कई छोटे बड़े राजा अकबर की रियासतों के तौर पर गिने जाने लगे।
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अकबर के राज्य में विभिन्न धर्म और संस्कृति के लोग रहते थे और वो अपने प्रान्त में शांति बनाये रखने के लिए कुछ ऐसी योजना अपनाते थे जिसके कारण उसके राज्य के सभी लोग काफी खुश रहते थे। लोगों के मन में अकबर के लिए इमानदारी और न्याय की भावना थी। उनका विश्वास था की अकबर एक अच्छा राजा है, और अपनी प्रजा के लिए समर्पित है।

साथ ही अकबर को साहित्य काफी पसंद था और उसने एक पुस्तकालय की भी स्थापना की थी जिंसमे करीब 24,000 से भी अधिक संस्कृत, उर्दू, पर्शियन, ग्रीक, लैटिन, अरबी और कश्मीरी भाषा की क़िताबे थी और साथ ही वहापर कई सारे विद्वान्, अनुवादक, कलाकार, सुलेखक, लेखक, जिल्दसाज और वाचक भी थे।

अकबर के दिल्ली, आगरा और फतेहपुर सिकरी के दरबार कला, साहित्य और शिक्षा के मुख्य केंद्र बन चुके थे। वक्त के साथ पर्शियन इस्लामिक संस्कृति भारत के संस्कृति के साथ घुल मिल गयी और उसमे एक नयी इंडो पर्शियन संस्कृति ने जन्म लिया और इसका दर्शन मुग़लकाल में बनाये गए पेंटिंग और वास्तुकला में देखने को मिलता है।
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अकबर के नव रत्न -

1. बीरबल- (सन 1528 से सन1583) दरबार के विदूषक, परम बुद्धिशाली, और बादशाह के सलहकार।
2. फैजि-  (सन 1547 से 1596) फारसी कवि थे। अकबर के बेटे के गणित शिक्षक थे।
3. अबुल फज़ल-  (सन 1551 से सन 1602) अकबरनामा, और आईन-ए-अकबरी की रचना की थी। 
4. तानसेन-  (तानसेन उत्तम गायक थे। और कवि भी थे)।
5. अब्दुल रहीम खान-ए-खान- एक कवि थे, और अकबर के पूर्व काल के संरक्षक बैरम खान के बेटे थे।
6. फकीर अजिओं-दिन-  अकबर के सलाहकार थे।
7. टोडरमल-  अकबर के वित्तमंत्री थे।
8. मानसिंह- आमेर / जयपुर राज्य के राजा और अकबर की सेना के सेनापती भी थे।
9. मुल्लाह दो पिअजा- अकबर के सलहकार थे।
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आगरा में चर्च बनाने की अनुमति -


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अकबर बहुत ही जिज्ञासु और धार्मिक प्रवर्ती के थे और उन्होंने कभी किसी धर्म को क्षति नहीं पहुचाई, बल्कि सभी धर्मो के सभी त्योहारों का सम्मान किया और उन्हें उनका मूल्य दिया। अकबर का काल मुग़ल वास्तुकला के प्रेम के लिए जिसमे इस्लामिक, फारसी और हिन्दू कलाओं का भी मिश्रण है और उनके दरबार की कुछ खास लोगो के लिए एक अलग जगह थी। जिसमे बहुत शानदार कलाकार, इंजिनियर, संगीतज्ञ और दर्शन-शास्त्री शामिल थे।

उन्होंने 1575 में फतेहपुर सीकरी में एक दीवार वाले शहर को फ़ारसी शैली में डिजाइन करने की अनुमति दी साथ ही अपनी सहिष्णु विचारों के चलते आगरा में चर्च बनाने की भी अनुमति दी। इससे उन्हें काफी ज्यादा पसंद किया जाने लगा।
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अकबर का धर्म -


अपने आखिरी दिनों में उन्होंने 1582 में एक नये पंथ “ दीन ए इलाही “ की स्थापना की।
अकबर ने अपने राज्य में एक धार्मिक एकता बनाये रखने के लिए इस्लाम और हिन्दू धर्मं को मिलाकर इस नये को बनाया जिसमे पारसी और ख्रिचन धर्म का भी कुछ हिस्सा शामिल किया गया था। लेकीन वह ज्यादा सफल नहीं हो सका।
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जिस धर्म की स्थापना अकबर ने की थी वो बहुत सरल, सहनशील धर्म था और उसमे केवल एक ही भगवान की पूजा की जाती थी, किसी जानवर को मारने पर रोक लगाई गयी थी। इस धर्म में शांति पर ज्यादा महत्व दिया जाता था। इस धर्म ना कोई रस्म रिवाज, ना कोइ ग्रंथ और नाही कोई मंदिर या पुजारी था।

अकबर के दरबार में के बहुत सारे लोग भी इस धर्मं का पालन करते थे और वो अकबर को पैगम्बर भी मानते थे। बीरबल भी इस धर्मं का पालन करता था।
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अकबर की मृत्यु -


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3 अक्तूबर 1605 को पेचिश के कारण अकबर बीमार हो गये थे और कुछ ही दिनों बाद 27 अक्तूबर 1605 को अकबर की मृत्यु हो गयी थी। उन्हें आगरा के सिकंदरा में दफनाया गया था। इतिहासकरों के अनुसार अकबर अनपढ़ थे लेकीन उन कौशल और नेत्रत्व की सराहना किसी अन्य राजा से की जाये तो उसमे वो बहुत आगे थे। उन्होंने अपने राज्य में कला, संगीत और लेखन को प्रोत्साहन करने उन्हें सींचने का बेहतरीन काम किया है।
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जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर अपनी प्रजा के लिए किसी भगवान् से कम नहीं थे। उनकी प्रजा उनसे बहुत प्यार करती थी। और वे भी सदैव अपनी प्रजा को हो रहे तकलीफों से वाकिफ होकर उन्हें जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास करते। इसीलिए इतिहास में शहंशाह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर को एक बहादुर, बुद्धिमान और शक्तिशाली शहंशाह माने जाते है।
और उनके इन्ही महान कारणों की वजह से उन्हें महान सम्राट अकबर का नाम दिया गया। अकबर का मतलब होता है सबको जीत लेने वाला और अकबर ने यही किया।


हम उम्मीद करते है की आपको  (Akbar history in hindi । अकबर का इतिहास ) पसंद आया होगा 













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