मोहनजोदड़ो का इतिहास Mohenjo Daro History in Hindi

मोहनजोदड़ो का इतिहास Mohenjo Daro History in Hindi -


मोहनजोदड़ो का इतिहास Mohenjo Daro History in Hindi


मोहनजो दड़ो

       मोहन जोदड़ो दक्षिण एशिया की सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे बड़े शहर-बस्तियों में से एक था। लगभग 4600 वर्ष पहले इसका निर्माण हुआ था ( लगभग 2600 ईसा पूर्व पहले )। यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है। यह दुनिया की शुरुआती शहरी बस्तियों में से एक थी। मोहनजो-दारो प्राचीन मिस्र, मेसोपोटामिया और ग्रीस की सभ्यताओं के रूप में एक ही समय में मौजूद थे। शहर के पुरातात्विक खंडहरों को एक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल के रूप में नामित किया गया है। पाकिस्तान में, यह सुदूर अतीत के राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक है।

      मोहनजोदड़ो का मतलब होता है मूर्खों का टीला। दक्षिण एशिया में रहने वाले इस शहर को सबसे पुराने शहर माना जाता है। इस पुराने शहर को इतने व्यवस्थित तरीके से बनाया गया था जिसकी कल्पना भी आप सब नहीं कर सकते। जब इतिहासकार ने मोहनजोदड़ो की खुदाई की तो इसमें बड़ी-बड़ी इमारतें, जल कुंड, सुंदर भवन, मिट्टी और धातु के बने बर्तन, मुद्राएं, मूर्तियां, ईट, तराशे हुए पत्थर, और भी ना जाने बहुत सी अलग-अलग चीजे मिली। जिससे यह पता चलता है कि यहाँ पर एक व्यवस्थित तरिके से बसा हुआ शहर था। इंजीनियर को सबसे पहले सिंधु घाटी के पास बसे सभ्यता के बारे में पता चला।


  • मोहनजोदड़ो का नाम -
मोहनजोदड़ो का इतिहास Mohenjo Daro History in Hindi
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मोहन जोदड़ो एक सिंधी सब्द है जिसका अर्थ है "मृत लोगों का पहाड़ " और "टीला ऑफ मोहन" (जहां मोहन कृष्ण है)। शहर का मूल नाम अज्ञात है, मोहनजो-दड़ो मोहर के अपने विश्लेषण के आधार पर, इरावाथम महादेवन ने अनुमान लगाया कि शहर का प्राचीन नाम कुक्कुटर्मा हो सकता है। मुर्गा-लड़ाई का शहर के लिए धार्मिक और धार्मिक महत्व हो सकता है, खाद्य स्रोतों के बजाय पवित्र उद्देश्यों के लिए घरेलू पालतू मुर्गियां। मोहनजो-दारो संभवतः मुर्गियों के दुनिया भर में फैलाव के लिए प्रसार का एक बिंदु हो सकता है।


  • स्थान -


     मोहनजो-दड़ो पाकिस्तान के सिंध में लरकाना जिले में सिंधु नदी के पश्चिम में स्थित है। इसे लरकाना शहर से लगभग 28 किलोमीटर (17 मील) दूर सिंधु नदी घाटी के बाढ़ मैदान के बीच में नए बने टीले पर बैठाया गया है। सिंधु घाटी सभ्यता के समय यह टीला प्रमुख था, जिससे शहर आसपास की बाढ़ से ऊपर खड़ा हो जाता था, लेकिन बाद में बाढ़ के कारण अधिकांश टीले पर रेत जमा हो गई। सिंधु अभी भी इस जगह के पूर्व में बहती है, लेकिन पश्चिमी तरफ घग्गर-हकरा नदी सूख गई है।


मोहनजोदड़ो का इतिहास Mohenjo Daro History in Hindi
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मोहनजोदड़ो सभ्यता का विकास लगभग 2600 ईसा पूर्व में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि मोहनजोदड़ो प्राचीन मिस्र, मेसोपोटामिया और क्रेते की समकालीन सभ्यता का एक अहम अंग था. यह अन्य शहरों के साथ संचार का प्राथमिक साधन था. इस करण यहां अन्य शहरों से लोग आसानी से आते-जाते थे. यह शहर कृषि क्षेत्र में अधिक प्रचलित था. मोहनजोदड़ो के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन अब तक हुए शोध से इसकी वास्तविकता का अनुमान लगाया गया है.


    सिंधु घाटी सभ्यता के पास रहने वाले निवासियों के लिए यह शहर बहुत ही महत्वपूर्ण था. इतिहासकारों के मुताबिक इस शहर में खेती से उपजे सामानों को रखने का प्रायोजित स्थान था. सामानों को पानी से बचाने का भी पूरा प्रबंध था. यहां बने घरों में पक्की ईंटों से बने स्नानघर और शौचालय भी मौजूद थे.

मोहनजोदड़ो में पानी के निकले के लिए बनी नालियों और स्नानघरों को देखकर ऐसा लगता है कि उस समय के वंशज वास्तुकला में माहिर थे. विशेषज्ञों की राय में मोहनजोदड़ो बाकी शहरों की तुलना में बेहतर था.


  • मोहनजोदड़ो की विशेषता -
    मोहनजोदड़ो का इतिहास Mohenjo Daro History in Hindi
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खोज के दौरान पता चला कि यहां के लोग गणित का भी ज्ञान रखते थे। उन लोगों को जोड़ना, घटाना, मापना सब कुछ आता था। जो ईट अलग अलग शहर में इस्तेमाल होती थी वह सभी एक ही वजन और एक ही साइज की थी।

   पुरातत्ववेत्ताओं ( Archaeologists ) के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता के लोग गाने-बजाने, खेलने-कूदने के भी बहुत शौकीन थे। उन्होंने मोहनजोदड़ो की खुदाई के दौरान म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट और खिलौनों को भी खोज निकाला था। इतना ही नहीं वह लोग साफ-सफाई पर भी काफी ज्यादा ध्यान देते थे। पुरातत्ववेत्ताओं को साबुन, कंघी, दवाइयां भी मिली थी। 
    उन्होंने कंकालों के दांतों का निरीक्षण किया तो उसके परिणाम काफी हैरान करने वाले थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि उस समय के लोग भी आज की तरह नकली दांत का इस्तेमाल किया करते थे। मतलब यह हुआ कि प्राचीन सभ्यता में भी डॉक्टर हुआ करते थे। खोज के दौरान खोजकर्ताओं को धातु के गहने और कॉटन के कपड़े में मिले थे यह गहने और कपड़े आज भी म्यूजियम में है। 



मोहनजोदड़ो का इतिहास Mohenjo Daro History in Hindi
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     स्विमिंग पूल मोहनजोदड़ो के आकर्षण में से एक था. ग्रेट बाथ (महास्नान) शहर के केंद्र में स्थित था. यह स्नानघर एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ था. ऐसा माना जाता है कि यहाँ लोग अपने शुद्धिकरण के लिए जाते थे. स्विमिंग में जाने के लिए सीढ़ियां तक बनी हुई थी.


  • कला -

मोहनजोदड़ो का इतिहास Mohenjo Daro History in Hindi
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कई शोधकर्ताओं ने यह तर्क दिया है कि मोहनजोदड़ो के निवासी कला और संस्कृति में काफी आधुनिक थे. मोहनजोदड़ो अपनी कला के लिए काफी लोकप्रिय था. मोहनजोदड़ो के समय में टेराकोटा से बने विभिन्न कलात्मक पैटर्न भी पाए गए हैं.

वहां के लोग आभूषण के उपयोग के लिए प्रचलित थे. हार, झुमके, अंगूठी, कंगन जैसे आभूषण का इस्तेमाल महिलाएं करती थी.

    इतना ही नहीं बल्कि मोहनजोदड़ो के निवासी नाच-गाने में भी काफी मशहूर थे. इन सब चीजों के साथ-साथ वह साफ सफाई का भी ध्यान रखते थे. इस शहर के निवासी, साफ सफाई का विशेष ख़याल रखते थे जो सही मायने में उनकी बुद्धि को दर्शाता है. विशेषज्ञों की माने तो मोहनजोदड़ो काफी समृद्ध क्षेत्र था जहां हाथी के दांत, पत्थर की विभिन्न प्रकार की मूर्तियाँ मौजूद थीं.


मोहनजोदड़ो का इतिहास Mohenjo Daro History in Hindi
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ऐसा माना जाता है कि दुनिया में पहली नाली(नाले) का निर्माण यही अर्थात मोहनजोदड़ो से ही शुरू हुआ था। इतिहासकारों के अनुसार यहां के लोग खेती भी किया करते थे। उन्हें गेहूं, चावल उगाना अच्छी तरह से आता था। इतना ही नहीं वह लोग जानवर का भी पालन किया करते थे। भारतीय द्वारा मोहनजोदड़ो का खोज सन 1922 ईस्वी में ‘राखल दास बनर्जी’ जो पुरातत्व विभाग के संरक्षक थे, पाकिस्तान में सिंधु नदी के किनारे खुदाई का काम किया था। उन्हें वहां बुद्ध का स्तूप सर्वप्रथम दिखाई दिया उसके बाद उन्होंने आशंका जताई कि इस जगह जरूर कोई बहुत बड़ा इतिहास दफन है।


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       इस खोज को बढ़ाते हुए सन 1924 ईस्वी में ‘काशीनाथ नारायण’ और सन 1925 ईस्वी में ‘जॉन मार्शल’ ने खुदाई का काम करवाया था। सन 1985 ईस्वी तक इसे भारत के अलग-अलग लोगों के द्वारा मोहनजोदड़ो की खुदाई का काम करवाया गया। लेकिन इसके बाद इस खोज को बंद करना पड़ा इसका कारण यह बताया गया कि खुदाई के वजह से प्रकृति को नुकसान हो रहा है।


खुदाई के दौरान कुछ लिपि भी मिले हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि उस समय के लोगों को पढ़ना लिखना भी आता था। कहते हैं कि प्राचीन सभ्यता में 50 लाख लोग रहते थे जो एक भूकंप में पूरी तरह नष्ट हो गए थे। पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकार मोहनजोदड़ो की आज भी और खोज करने में लगे हुए हैं। वह पता कर रहे हैं कि कैसे उस शहर का निर्माण हुआ? वहां रहने वाले ने कैसे इतनी बड़ी सभ्यता का विकास किया? और आखिर इनका अंत कैसे हो गया? इन सभी सवालों के जवाब के लिए पुरातत्ववेत्ताओं की खोज आज भी जारी है।


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Comments

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